भटाडी कोल इंडिया कामगार 30 सालो से कल्याणकारी सुविधाओ से वंचित ।
जिना यहा! मरना यहा! महाकाली के भरोसे काम कर रहे कामगार !,
दिनचर्या न्युज :-
चंद्रपूर :-
भटाडी ओपन कास्ट माईन, पद्मापूर सब एरिया कोल इंडिया कामगार 30 सालो से कल्याणकारी सुविधाओ से वंचित ।कोल इंडिया जो मिनी कंपनी है , और सामाजिक दायित्व के तहत खदान परिसर के आस – पास के लोग और गाव को CSR के निधि के रूप में करोडो रुपये खर्चा करने वाली , ग्रामपंचायत / नगर परिषद / पंचायत समिति / जिला परिषद / राज्य सरकार / केंद्र सरकार को टैक्स और रॉयलटी के नाम पर असंख्य पैसा खर्च करनेवाली , सुरक्षा और कल्याण के नाम पर करोडो रुपये सालाना खर्च करने वाली कंपनी के कामगार और उनके परिवार की जो दुर्दशा है उसकी एक झलक आपके समक्ष रखने का साहस कर रहा हूँ, इस उम्मीद के साथ की आपसे न्याय मिले ।
पिछले कई वर्षो से हम वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के प्रबंधन को विशेषकर चंद्रपुर क्षेत्र को उदहारण , नाम के साथ निवेदन करते आ रहे है की कामगारों को सुरक्षित वातावरण एंव कल्याणकारी सुविधाओं में कार्य करने में कम से कम मदत करे पर प्रबंधन के रवैये में कोई बदलाव नही आ रहा ,
भटाडी खदान के सब एरिया मॅनेजर पी. झेड. ढोबळे को, यहा खदान के व्यवस्था के बारे मे पूछे तो, उन्होने कहा की ऐसी कही भी स्थिति नही है! खदान मे सब कुछ ठीक चल रहा है! सब कुछ ठीक चल रहा है! सब कुछ ठीक चल रहा है! और उन्होने कहा की ये सब बाते जीएम से पूछो! वहा बात करो! या सब ठीक है! ऐसा कहकर उलने खदान के व्यवस्था के बारे मे पल्ला झाड दिया!
सब एरिया मॅनेजर का ऑफिस आखरी सासे गिन रहा है ! बारिश के वजसे पुरा पाणी छत से टपक रहा है! खुद ऐसे स्थिती मे है, तो क्या कामगार को सचमुच न्याय देगे.
यहा के खदान के बारे में, संबंधित माध्यमोने जायजा लेने के बाद पता चला की, यहा काही सालो से कामगार को जाने के लिए रास्ता नही है! या पाणी, स्वच्छालय, कामगार को बैठने के लिए सेफ्टी सेड नही! वाह कामगार महाकाली मंदिर के जो की, यहा का सेड कामगारोने अपने सहयोगी राशीसे निर्माण कार्य किया है!जिना यहा! मरणा या! माँ काली के भरोसे काम कर रहे!
लेकिन यहा की वेस्टन कोड लिमिटेड ने आज तक या कोई व्यवस्था नही की! कामगारो के लिये एक छोटीशी कुटिया तयार कि गयी है! वहा कामगार बारिश के सहारा लेके रहते है!
कोल इंडिया खदानो मे, अनेक संघटन है लेकिन कोई भी! तीस सालो मे या खदान के कामगार के बारे मे आवाज उठा नही पाहे!
मजबूरन 40 वर्षो से इस उद्योग में संगठन चलाने के बाद इस प्रकार की शिकायत भारत सरकार के स्तर पर करना पड़ रहा है । महोदय वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की चंद्रपुर क्षेत्र की भटाडी उपक्षेत्र जो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी उत्पादन करने वाली खदान है उसके साथ – साथ जहा कामगारों की सबसे बड़ी संख्या कार्यरत है उसकी आज दि. 02.09.2025 की जो दयनीय स्थिति है वह निम्नाअनुसार है एंव उसकी व्हिडियो एंव फोटो भी इस पत्र के साथ संलग्न है..............
सी.एच.पि. के कामगारों को कार्यस्थल पर जाने का रास्ता तक नही है रास्ता कभी बना ही नही , और बारिश में ड्रमो को काटकर उन्हें इस तरीके से रखा गया है की उस पर से कामगार आ – जा सके , और तो और अगर कामगार ना गिरे ऐसा हो नही सकता ।कामगार जहा कार्य करते है वहा की स्थिति इतनी दयनीय है की एक गरीब से गरीब व्यक्ति इस हाल में रह नहीं रहता होगा , पर कामगारों को वहा रहना पड़ता है ।सी.एच.पि. की सीढिया चढ़ने पर हादसा होना की जो गुंजाइश है उससे जान की हानि तो होनी ही है , क्योंकि सीढि के नीचे कम से कम 6 फिट का गड्ढा क्यों बना कर रखा है समझ से बाहर है।
पुरुषो के लिए बनाया गया सौचालय भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया ,उसे इस तरह से बनाया गया था की वह एक तरफ झुक गया , और फिर शहीद हो गया ।महिलाओ और पुरुषो के लिए एक सौचालय अलग के बना हुआ है जहा आने – जाने का ढंग से कोई रास्ता नही है , ना ही उचित रोशनाई की व्यवस्था है , और गन्दगी का आलम इतना है की जो जाए वो बीमार पड जाए ।
पुरुष एंव महिलाओ का सौचालय साथ में होने के कारण अनहोनी होने की समस्या से इनकार नही किया जा सकता , यही हाल रेस्ट शेल्टर का भी है , जो एक साथ है , और तो और महिलाओ की जगह पीछे राखी गई है , जो पूर्णत गलत है ।
50 से अधिक महिलाए कार्यरत होगी पर उनके लिए ना तो चेंचिग रूम है ना ही ऐसी कोई सुविधा केंद्र है जहा वो मासिक के समय में उसका उपयोग कर सके , महिलाये चुकी कई जगह कार्य करती है अब कुछ मुव्हेबल यूरिनल लाया गया है , पर लगाया नही जा रहा है ।
सुरक्षा की दृष्टी से एंव असुरक्षित कार्य कराने का आलम यह है ।
खदान में रेस्ट शेल्टर / ब्लास्टिंग शेल्टर / ट्रिप मैन / सुपर वाईजर शेल्टर के नाम पर 4/4 का 6 फिट उंचा एक लोहे का पिंजरा बना दिया गया है जिसमे बैठने या पानी की कोई व्यवस्था नही होती है , जहा बकरी भी नही रख सकते वहा हमारे कामगार रहने और कार्य करने हेतु मजबूर है ।
वर्कशॉप में बारिश के दिनों में इतना पानी और कीचड़ भरा होता है की कामगार का चलना मुश्किल होता है , और उस हाल में उसे कार्य करना पड़ता है , उस जगह कम से कम कीचड़ और पानी ½ से ¾ फिट का रहता है , कामगार को गिरना ही है ।
वर्कशॉप में डंपरो के डाले का कार्य बगैर किसी सपोर्ट लगाये असुरक्षित रूप से कराया जाता है ।
खदान में रोशनाई बहुत जगह कम है , कई जगह तो है ही नही ।
जहा करोडो की गाडिया कड़ी होती है , वहा कोई सुरक्षा प्रहरी नही रहता , और चोरी होती रहती है ।
उस खदान का हाल है जो सबसे ज्यादा उत्पादन करती है , जो चंद्रपुर क्षेत्र की जीवनरेखा कहलाती है , सभी मुद्दों पर हमारी संगठन 5 साल से प्रबंधन का ध्यान आकर्षित करा रही है! राष्ट्रीय कोयला खदान मजदूर संघ( इंटक) के. के. सिंह महामंत्री कहा की ,आज तक कोई भी बदलाव नही हुआ! इस वक्त चंद्रमा यादव, आर शंकर दास, अविनाश लांजेवार, रवी धात्रक आदी संघटनोके पदाधिकारी उपस्थित थे !